क्रिकेटर आदित्य सरवटे की जिंदगी कठिन हालातों से होकर गुजरी पर इस युवा ने अपने हौंसले बरकरार रखते हुए अपनी अलग ही पहचान बनायी है। आदित्य ने रणजी मुकाबले के फाइनल मैच में विदर्भ की तरफ से खेलते हुए शानदार गेंदबाजी करते हुए सबका ध्यान खींचा है। बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को जिस अंदाज में सरवटे ने दो बार अपनी फिरकी का शिकार बनाया उससे सभी हैरान रख गये। आदित्य का यहां तक का सफर बेहद कठिन रहा है।
आदित्य का सफर कठिन हालातों में कैसे आगे बढ़ते हैं यह बताता है। इस क्रिकेटर के पिता करीब 20 साल से बिस्तर पर हैं और मां ही घर का सारा खर्चा संभाले हुए हैं। सरवटे की जिंदगी में 20 साल पहले एक बड़ा तूफान आया था जब उनके पिता आनंद अपने भाई से मिलने मुंबई गए थे, वहां एक टैंकर ने आनंद की गाड़ी को टक्कर मार दी और आनंद कोमा में चले गए। कोमा से तो आनंद ने जंग जीत ली लेकिन उनका शरीर लकवाग्रस्त हो गया जिसके बाद वो बिस्तर पर पहुंच गए और घर की जिम्मेदारियां आदित्य की मां अनुश्री को संभालनी पड़ी। बैंक में काम कर जहां अनुश्री अपना घर चलाती हैं तो वहीं युवा आदित्य अपने पिता को नहलाने से लेकर खिलाने तक का काम करते हैं।
खेल के साथ पढ़ाई में भी अव्वल
जिंदगी ने लिया कड़ा इम्तिहान फिर भी शीर्ष पर रहे आदित्यः आदित्य ने बेहद कम उम्र में ही नाजुक कंधों पर मुसीबतों और जिम्मेदारियों का बोझ उठा लिया था लेकिन उनका भार उनके मजबूत हौसलो को कभी डिगा नहीं सका। उनकी मां ने बताया कि क्रिकेट के अलावा आदित्य पढ़ाई में भी हमेशा अव्वल रहे हैं। अपनी स्नातक के बाद उन्होंने फाइनेंसियल मैनेजमेंट में डिप्लोमा भी किया जिसमें वो टॉप पर रहे। उनकी मां ने आदित्य से कई बार नौकरी के लिए कहा लेकिन आदित्य के सपने इतने छोटे नहीं हैं, उन्होंने हर बार अपनी मां को मना किया। आज आदित्य क्रिकेट जगत में उभरते सितारे हैं।