कभी भी बाजार से न खरीदें त्रिफला चूर्ण, अपने घर पर खुद बनाएं और स्वस्थ्य रहें

कभी भी बाजार से न खरीदें त्रिफला चूर्ण, अपने घर पर खुद बनाएं और स्वस्थ्य रहेंबा:- जारों में बेहद आकर्षक स्टीकरों के साथ त्रिफला का चूर्ण बिकता है जिस पर भ्रामक प्रचार के रूप में जीवन भर निरोगी रहने के दावे भी लिखे होते हैं। इन खोखले दावों को कभी गौर न करें। शुद्ध तरीके से अपने हाथ से बनाया हुआ त्रिफला चूर्ण आपको विश्वास के साथ सम्पूर्ण निरोगी काया की सुरक्षा भी देगा। 

त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन अमृत के तुल्य माना जाता है। यह सम्पूर्ण शरीर की काया-कल्प करने में सक्षम एक आयुर्वेदिक उपाय है।

विधि – हरड़(पीली), बहेड़ा,आंवला तीनों फलों की गुठली स्वच्छ तरीके से निकालने के बाद छिलकों को कूट-पीसकर व कपड़ा छान करके तीनों का अलग-अलग चूर्ण तैयार कर लें। उसके बाद 1 : 2 : 4 के अनुपात में मिलाकर रख लें।

जैसे हरड़ का चूर्ण यदि 10 ग्राम है तो बहेड़े का चूर्ण 20 ग्राम और आंवला का चूर्ण आपको 40 ग्राम रखना होगा। इन तीनों को मिलाकर रखने पर तैयार मिश्रण को किसी कांच की कॉर्क वाली शीशी में रखना उत्तम माना जाता है। इसको बरसाती हवा अथवा नमी से हमेशा बचाकर रखना चाहिए।

सेवन की विधि – प्रातः फ्रेश होने के पश्चात खाली पेट त्रिफला चूर्ण को साधा जल के साथ केवल एक बार ही लेना होता है। इसको उम्र के हिसाब से समझना भी जरूरी है। यदि बच्चों को दिया जा रहा है तो 10 वर्ष तक के बच्चों के लिए इसकी मात्रा 2 ग्राम यानि करीब आधा चम्मच उचित है। व्यस्क यानि 40 साल तक के लोग या उससे उपर की उम्र वालों के लिए इसकी मात्रा 4 ग्राम यानि करीब एक चम्मच की उचित रहती है।

इसके सेवन से एक-दो दिन आपको पेट में घुड़घुड़ाहट अथवा हल्का पतला शौच हो सकता है लेकिन उससे घबराएं नहीं। इसका नियमित सेवन आपके शरीर के विकारों को दूर करता है व शरीर में चुस्ती व उर्जा का शानदार प्रभाव पैदा करता है। चेहरा उज्जवल व कांतिमान हो जाता है। पाचन संबंधी हर बीमारी का यी नाशक है और कब्ज का पूरी तरह से नाश करने वाला आयुर्वेद का रामबाण नुस्खा।

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