हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच हुई वार्ता में यह तय हुआ था कि गलवान घाटी, गोगरा, हाट स्प्रिंग्स से दोनों देशों की सेनाओं को 1.5 किमी पीछे हटना है। इस तरह बीच में तीन किलोमीटर का एक बफर जोन बन जाता। 30 जून को सैन्य कमांडरों की मीटिंग में इस अस्थाई बफर जोन को बनाने की बात हुई थी जिससे मौजूदा टकराव को टाला जा सके।
हाल ही में मीडिया में आई खबरों में यह दावे किए गए कि चीनी सेना दो-तीन किमी पीछे हट गई है। मगर वास्तव में सभी जगहों पर ऐसा हआ नहीं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि तीनों स्थानों से चीनी सेना पीछे हटी जरूरी है मगर सहमति के अनुसार हाट स्प्रिंग्स एवं गोगरा में डेढ़ किमी भी पीछे नहीं हटी है। चीनी सेना केवल गलवान घाटी में पीछे हटी है।
सैन्य कमांडरों की मीटिंग के तहत सेना के पीछे हटने की पुष्टि भी की जानी थी। भारतीय सेना ने पुष्टि की है और पाया कि चीनी सेना को और पीछे हटने की आवश्यकता है। इस बारे में सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया इस प्रक्रिया में वक्त लगेगा। हो सकता है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर कुछ और भी मीटिंग हों। सेना के सूत्रों ने बताया कि टकराव वाले क्षेत्रों से जब तक सेनाएं पीछे नहीं हटती हैं तब तक गतिरोध कायम रह सकता है। इसमें पहल चीन को ही करनी होगी।