उल्कापिंड के टकराने से ऐसा होता ‘तबाही’ का मंजर, देख रौंगटे खड़े हो जाएंगे आपके

पूरी दुनिया के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में जुटे हुए हैं ताकि इस जानलेवा वायरस का खात्मा हो और सारी दुनिया एक बार फिर सामान्य रूप से जीवन यापन करें ,दरअसल ब्रह्माण में 29 अप्रैल को धरती के करीब से एक विशाल उल्कापिंड गुजरने वाला था जो अगर पृथ्वी से टकरा जाता। तो दुनिया में तबाही मच जाती। लेकिन अब ये खतरा पूरी तरह खत्म हो गया है क्योंकि उल्कापिंड पृथ्वी के पास से गुजर चुका है।

लंबे समय से ही दुनिया के तमाम वैज्ञानिक उल्कापिंड पर अध्ययन कर रहे है। इस दौरान वैज्ञानिक इसे पृथ्वी से दूर रखने की कोशिशों में लगे थे ताकि किसी भी तरह उल्कापिंड पृथ्वी को कोई नुकसान पहुंचाए बिना ही पास से गुजर जाए। और ऐसा हो भी गया। वैज्ञानिक की तमाम कोशिशे रंग लाई है।

इस बीच एक सवाल ये भी खड़ा हो रहा है कि अगर ये उल्का पृथ्वी से टकरा जाता। तो क्या होता? पृथ्वी की कैसी हालत होती। लेकिन इन तमाम सवालों का जवाब महज एक शब्द से मिल सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर ये उल्कापिंड पृथ्वी से टकरा जाता। तो यहां पर ‘तबाही’ जाती।

शायद मौंतों का अंदाजा लगाने भी मुश्किल हो जाता। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रह्मांड में बहुत से उल्कापिंड, धूमकेतु (Comet)और क्षुद्र ग्रह तैर रहे है। ये बढ़ी तेजी से बेकाबू होकर तैरते है। जिन्हें रोकपाना न मुमकिन है। ये ग्रह किसी भी अन्य ग्रह के गुरुत्वार्कषण (Gravity) के दायरे में आने पर उससे टकरा जाते है और फिर खत्म हो जाते है लेकिन अपने पीछे भयानक तबाही जरूर छोड़कर जाते है।

साल 1908 में पृथ्वी पर कुछ ऐसा ही हुआ था। जब आसमान से एक आग का गोला आकर गिरा था। जिसने तबाही मचा दी थी। साल 1908 में उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह धरती से टकराने से पहले ही जलकर खत्म हो गया था लेकिन जलने की वजह से ये 100 मीटर बड़ा आग का गोला बन गया था जो साइबेरिया के टुंगुस्का में आकर गिरा था।

इसकी आग के गोले की वजह से 8 करोड़ पेड़ जलकर खाक हो गए थे। इस बात से अब अंदाजा लगाया जाता है कि अगर ये उल्कापिंड धरती की किसी घनी आबादी वाले क्षेत्र से टकरा कर जल जाता। तो करोड़ों की संख्या में लोगों की मौत हो जाती।

Leave a Reply

Your email address will not be published.