क्यों लगाई जाती है शिवलिंग की आधी परिक्रमा, जलाधारी लांघने से होती है यह बड़ी समस्या

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हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि कई ऐसे धर्म है जहां परिक्रमा करने की परंपरा चली आ रही है हिंदू धर्म में परिक्रमा का बहुत महत्व है। कहते हैं इसके बिना की गई पूजा अधूरी मानी जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि यदि हम किसी देवस्थान या मूर्ति आदि के परिक्रमा करते हैं तो हमारे कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

इस मंत्र द्वारा परिक्रमा के महत्व को बताया

हिंदू धर्म में लोगों में देवी-देवताओं के प्रति काफी आस्था होते हैं। सभी लोग पूजन के बाद अपने स्थान पर या संबंधित मंदिर की पूरी परिक्रमा करते हैं लेकिन शिवलिंग की पूजा करने के पश्चात उपासक शिवलिंग की आधी परिक्रमा करते हैं। यह बात बहुत लोग नहीं जानते हैं लेकिन वह इस आश्चर्यचकित बात को अवश्य जानना चाहते हैं।

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग पूजा के नियम अलग-अलग हैं। इनके कुछ मुद्राएं भी हैं शिवलिंग की आधी परिक्रमा को शास्त्र संवत माना गया है। इसे चंद्राकार परिक्रमा कहा गया हैं।

हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार परिक्रमा के दौरान जलाधारी को लांघना वर्जित है इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों वजह है जानते हैं वजह-

धार्मिक वजह

शास्त्रों के मुताबिक शिवलिंग को शिव और शक्ति दोनों की सम्मिलित ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। कहते हैं शिवलिंग पर जल चढ़ाने से जल पवित्र हो जाता है जल जिस भी मार्ग से निकलता है उसे निर्मली सोम सूत्र और जलाधारी कहते हैं।

क्या मान्यता है कि शिवलिंग इतनी शक्तिशाली वैशाली होती है कि उस पर जल चढ़ाने से जल में और शक्ति की उर्जा के कुछ अंश मिल जाते हैं। प्रक्रम के समय जब कोई इसे लगता है तो उसकी टांगों के बीच से शिवलिंग की उर्जा उसके अंदर प्रवेश कर जाती है। जिसकी वजह से उसमें वीर्य रज संबंधित शारीरिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

वैज्ञानिक वजह

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप देखें से पता चलता है कि इन शिवलिंग ओ के आसपास के क्षेत्रों में रेडिएशन पाया जाता है इसके साथ शिवलिंग का आकार और एटॉमिक रिएक्टर सेंटर के आकार में काफी समानता है। इस तरह में शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल इतना उर्जा वान होता है कि इसे फाँदने से व्यक्ति को बहुत नुकसान पहुंचाता है।

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