चाणक्य नीति : अगर मनुष्य को अपना जीवन सुखमय बनाना है तो इन 3 चीजों में रखें संतोष

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मनुष्य का स्वभाव इच्छाओं से भरा होता है। किसी भी मनुष्य की इच्छाएं (Wishes)कभी समाप्त नहीं होती, बल्कि समय के साथ बढ़ती जाती हैं। वह दिन ज्यादा से ज्यादा इच्छाएं पाने की चाह रखने लगता है। इसमें चाणक्य कहते हैं कि कुछ चीजों में व्यक्ति को संतोष(Satisfaction to the person) करना बहुत जरूरी है। अगर इन कुछ चीजों में मनुष्य अपने आप को चांद नहीं रखता है तो उसका जीवन कष्टों से भरा होता है। हालांकि कुछ स्थानों पर व्यक्ति को असंतोष भी दिखाना चाहिए। चाणक्य ने एक श्लोक में वर्णन किया है कि आखिर किन चीजों में मनुष्य को संतोष करना चाहिए और किन चीजों में नहीं।

चाणक्य की नीति

  • चाणक्य का कहना है कि अगर पत्नी सुंदर ना हो तो संतोष करना चाहिए। कैसी भी परिस्थिति क्यों ना हो लेकिन विवाह के बाद किसी भी पुरुष को स्त्री के पीछे नहीं जाना चाहिए। अगर वह ऐसा करता है तो उसका जीवन पूरी तरह से नष्ट हो सकता है। हर व्यक्ति को पत्नी की बाहरी सुंदरता से ज्यादा उसके अंदर के गुणों को देखना बहुत आवश्यक है। एक संस्कारी पत्नी किसी भी व्यक्ति का जीवन खुशियों से भर देती है। वह जैसी भी हो आखिर वह अपने घर की लक्ष्मी होती है।
  • अपनी बात को आगे कहते हुए चाणक कहते हैं कि भोजन कैसा भी मिले लेकिन उसे प्रसाद रूप मैं हमेशा ग्रहण करना चाहिए। दुनिया में बहुत से लोग ऐसे होते हैं। जिन्हें एक टाइम का भोजन नसीब नहीं होता। इसलिए अगर आपके मन में जरा भी गलत ख्याल आए तो हमेशा उन लोगों के बारे में सोचना चाहिए चाणक्य कहते हैं कि भोजन नसीब वालों के भाग्य में होता है। कहा भी गया है दाने दाने में होता है खाने वालों का नाम।
  • चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति के पास जितना भी धन हो उसे उस धन में ही संतोष करना चाहिए। ज्यादा पैसे की चाहत कभी कभी मनुष्य को गलत काम करने पर मजबूर कर देती है। मनुष्य को कभी किसी दूसरे व्यक्ति के धन पर बुरी नजर नहीं डालनी चाहिए। ऐसी गलत आदतें जीवन में आगे चलकर बहुत मुश्किलें खड़ी कर देती हैं। इसलिए आपके पास जितना धन है। जितनी आपकी आई है उसी के हिसाब से खर्च करना चाहिए।

चाणक्य आगे कहते हैं व्यक्ति को किन बातों में असंतोष रखना चाहिए। व्यक्ति को हमेशा जीवन में आगे बढ़ने की चाह होनी चाहिए। नीति शास्त्र के अनुसार अध्ययन दान और तब में व्यक्ति को कभी भी संतोष नहीं करना चाहिए। इसमें संतोष करना अपने जीवन मैं बाधा डालने के बराबर होता है

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