भारत और चीन के जवानों के बीच हुए खूनी संघर्ष में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान चीन के भी 40 सैनिक मारे गए थे। आईटीबीपी जवानों ने ईस्टर्न लद्दाख में हिंसक झड़पों के दौरान शील्ड का बेहतरीन उपयोग किया और सर्वोत्तम पराक्रम दिखाते हुए अपने से ज्यादा चीनी जवानों का सामना करते हुए उन्हें रोके रखा।
गौरतलब है कि झड़प के दौरान आईटीबीपी जवानों ने बेहतरीन युद्ध कौशल का परिचय देते हुए कंधे से कंधा मिलाकर बहादुरी से संघर्ष किया और कई घायल सैनिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया। आईटीबीपी के जवानों ने पूरी रात चीनी सैनिकों का डटकर सामना किया और जवाबी कार्रवाई करते हुए 17 से 20 घंटों तक उन्हें रोके रखा। पर्वतीय क्षेत्रों में जंग की ट्रेनिंग के चलते आईटीबीपी हिमालय में तैनाती के दौरान क्षेत्रों को महफूज रखने में समर्थ रही है।
आईटीबीपी की तरफ से उन 21 जवानों के नाम भी बहादुरी पदक के लिए अनुशंसा किए हैं जिन्होंने झड़प के दौरान चीनी सैनिकों को जमकर सबक सिखाया था। वहीं आईटीबीपी के डीजी एसएस देसवाल, 294 जवानों को ईस्टर्न लद्दाख में चीनी सैनिकों का शौर्य और बहादुरी के साथ सामना करने के लिए डीजी प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिह्न भी प्रदान किया है। साथ ही 6 अन्य आईटीबीपी जवानों को छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के विरुद्ध सफल अभियानों के लिए डीजी प्रशंसा पत्र और प्रतीक चिन्ह से सम्मानित किया गया है।