इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य यह भी था कि प्रतिकूल मौसम में भी सोलर एनर्जी को बनाया जा सके। सोलर एनर्जी से यह कृत्रिम सूरज चीन के लिए वरदान साबित होगा। कृत्रिम सूरज का प्रकाश असली सूरज की तरह तेज होगा। परमाणु फ्यूजन की मदद से तैयार इस सूरज का नियंत्रण भी इसी व्यवस्था के जरिए होगा।
कृत्रिम सूरज की कार्यप्रणाली में एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र का उपयोग किया जाता है। इस दौरान यह 150 मिलियन यानी 15 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक का तापमान हासिल कर सकता है। पीपुल्स डेली के मुताबिक यह असली सूरज की तुलना में दस गुना अधिक गर्म है।
असली सूरज का तापमान करीब 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है. धरती पर मौजूद न्यूक्लियर रियेक्टर्स की बात करें तो यहां ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए विखंडन प्रकिया का इस्तेमाल होता है। यह तब होता है जब गर्मी परमाणुओं को विभाजित करके उत्पन्न होती है। परमाणु संलयन वास्तव में सू्र्य पर होता है, और इसी कंसेप्ट पर चीन का कृत्रिम सूरज बना है। दक्षिण-पश्चिमी सिचुआन प्रांत में स्थित इस रिएक्टर को अक्सर कृत्रिम सूरज कहा जाता है असली सूरज की तरह प्रचंड गर्मी और बिजली पैदा कर सकता है। न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी का विकास चीन की सामरिक ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के साथ, चीन के एनर्जी और इकॉनमी के सतत विकास में सहायक सिद्ध होगा।
चीन की यह कोषिष उसे सामरिक क्षे़त्र में भी एनर्जी प्रदान करेगी। संलयन प्राप्त करना बेहद कठिन है और इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 22.5 बिलियन डॉलर है। दुनिया के कई देश सूरज बनाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन गर्म प्लाज्मा को एक जगह रखना और उसे फ्यूजन तक उसी हालत में रखना सबसे बड़ी मुश्किल आ रही थी। चीन के वैज्ञानिक ने विज्ञान की एक बहुत बड़ी गुत्थी सुलझा दिया है।