…तो इस वजह से गंगा में बहाए जा रहे हैं शव, जानें क्या कह रहे हैं हिन्दू पुजारी

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बीते कई दिनों से उत्तर प्रदेश और बिहार में गंगा में बहकर आ रहे शवों के मिलने का सिलसिला जारी है, जिसने शासन-प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। एक तरफ अंदाजा लगाया जा रहा है कि प्रदेश में लगातार हो रही कोरोना संक्रमितों मौतों की वजह से श्मशान घाटों में अंतिम संस्कार के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी है जिसके चलते लोग शवों को गंगा में प्रवाहित कर दे रहे हैं। वहीं कई हिंदू महंत और पुजारी इसकी वजह पंचक काल में हुई मौत बता रहे हैं। उनका कहना है कि हिन्दू धर्म ने पंचक काल में शवों का दाह संस्कार करने की परंपरा नहीं है ऐसे में लोग शवों को गंगा में प्रवाहित कर रहे हैं।

अयोध्या और काशी के श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारी श्रीकांत मिश्रा ने वीडियो जारी कर बताया है कि सनातन धर्म में पंचक काल में शवों का दाह संस्कार न करने की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। उन्होंने जारी वीडियो में बताया है कि , ‘ इंसान की मृत्यु के बाद उसके शरीर को या तो भूमि में गाड़ दिया जाता है या जल में प्रवाहित कर दिया जाता है या फिर दाह संस्कार कर अग्नि में भस्म कर दिया जाता है। इन तीनों ही तरीकों से मनुष्य का शरीर मृत्यु के बाद पूरी तरह से समाप्त हो जाता है।’

पुजारी श्रीकांत मिश्रा बताते हैं कि ‘हिन्दू धर्म में हर महीने पांच दिन पंचक काल लगता है, पंचक धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण से प्रारंभ होकर रेवती नक्षत्र पर समाप्त होता है. शास्त्रों के मुताबिक, पंचक में पांच कार्यों को निषिद्ध माना गया है, इसमें शव दाह भी भी है . इसके अतिरिक्त दक्षिण की यात्रा, चारपाई बनवाना और घर-मकान आदि का निर्माण कार्य भी नहीं शुरू किया जाता। उन्होंने कहा कि पंचक में ये सभी कार्य नहीं करने चाहिए।’

पुजारी जी बताते हैं कि अगर पंचक में शव दाह करना आवश्यक है तो शास्त्रों में पुत्तल विधान का जिक्र किया गया है, इसके मुताबिक पांच प्रकार के जौं के आटे से पुतले का निर्माण किया जाता है और पांचों नक्षत्रों का आह्वान करके पूजन किया जाता है, इसके बाद अग्नि स्थापन और घी की आहुति दी जाती है और फिर उन पाचों पुतलों को शव के ऊपर रखकर दाह संस्कार पूरा किया जाता है. इसके अतिरिक्त शवों को जल प्रवाह और भूमि समाधि देने का भी विकल्प है।’

वहीं, आयोध्या के एक पुजारी राकेश तिवारी ने भी वीडियो जारी कर कुछ ऐसा ही बताया है। उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म में पंचक लगने पर शव दाह नहीं किया जाता है लेकिन अगर शव दाह आवश्यकता है तो आटे का पुतला बनाकर और उसकी विधिवत पूजा के बाद ही किया जा सकता है. इसके साथ ही शव को जल में प्रवाहित कर सकते हैं या फिर भू-समाधि दी जा सकती है।’ हालांकि किसी महंत या पुजारी ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आखिर गंगा में इतने शव क्यों मिल रहे हैं।

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