दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में चल रही दिल्ली दंगों के एक अभियुक्त गुलफाम के जमानत याचिका की सुनवाई न्यायाधीश विनोद यादव कर रहे थे। न्यायाधीश ने गुलफाम की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी। इसके साथ ही अपराध की गंभीरता और तथ्य को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा प्रत्यक्षदर्शी एक ही इलाके का है। ऐसे में यदि उसे जमानत दे दी जाती है तो वह गवाहों पर दबाव बना सकता है, उन्हें धमका सकता है। इस कारण आवेदक की जमानत याचिका तदनुसार खारिज की जाती है।
गलत तरीके से फंसाया गया है
दंगों के आरोपी गुलफाम की तरफ से कोर्ट में पक्ष रखते हुए वकील अनीस मोहम्मद ने कहा- आरोपी एक युवा है और वह दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीए की पढाई कर रहा है। इसके बाद जब वह पढाई से फ्री होता है तो अपने पिता के साथ दुकान पर बैठता है। वकील अनीस ने कहा-गुलफाम बीते पांच मई से न्यायिक हिरासत में है, जो पूरी तरह से अनुचित है। उनके मुव्वकिल गुलफाम को गलत तरीके से फंसाया गया है।
स्थायी सबूत नहीं है
वकील ने कहा, “आरोपी गुलफाम के खिलाफ कोई स्थायी सबूत नहीं है और प्राथमिकी दर्ज करने में एक अस्पष्टीकृत देरी हुई।” उन्होंने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल की तस्वीर भी किसी सीसीटीवी फुटेज में नहीं दिख रही है। वहीं अब इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है और चार्जशीट भी दाखिल की जा चुकी है, इसलिए आवेदक को किसी भी तरह से हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है अत: उसे जमानत दी जाये।