हिंदू धर्म में सदियों से चली आ रही इस परंपरा को लोग आज भी उसी तरह मनाते हैं यह परंपरा है भगवान की पूजा और आरती के बाद सभी लोग भगवान को पंचामृत का भोग जरूर लगाते हैं। उसके बाद सभी को पंचामृत बांटते है। हाथों की गदेलि के बीच हम पंचामृत को लेकर उसका पान करके सिर पर लगा लेते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर या पंचामृत क्या होता है। पूजा के बाद सभी लोगों में इसका वितरण करना जब बहुत महत्व रखता है। दुनिया में बहुत से लोग ऐसे भी होंगे जिनको अभी तक पंचामृत के महत्व के बारे में पता ही नहीं होगा। कुछ लोगों को यह मालूम होगा, कि यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। आपको सही पता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने के साथ-साथ पंचामृत में सम्मिलित होने वाले पांच तत्व हमें इस भौतिक संसार के बारे में भी बहुत कुछ मैसेज देते हैं। आइए जानते हैं पंचामृत की विशेषता…
चरणामृत भी कहते हैं लोग
हिंदू धर्म में सभी देवी देवताओं से जुड़े अलग-अलग भोग के बारे में आप जानते ही होंगे, लेकिन भारतीय संस्कृति और धर्म के अनुसार पंचामृत का एक अलग ही महत्व है। एक चम्मच पंचामृत का महत्व किसी महाप्रसाद से कम नहीं होता। इस पंचामृत का इतना ज्यादा महत्व है कि लोग घंटों लाइन में खड़े रहते हैं। पंचामृत को बहुत से लोग चरणामृत के नाम से भी जानते हैं। पंचामृत को चरणामृत बोले जाने के पीछे की भी एक बड़ी वजह है।
पंचामृत 5 पवित्र तत्वों का योग है। इन पांच तत्वों में दूध दही शहद घी और गंगाजल शामिल होते हैं। पंचामृत जिसका प्रसाद के रूप में महत्वपूर्ण स्थान है। इसी से भगवान का अभिषेक भी किया जाता है।
पंचामृत पीने में बहुत टेस्टी होता है। पंचामृत में हम जितनी भी चीजें मिलाते हैं। वाह 33 करोड़ देवी देवताओं की पूजा में अनिवार्य रूप से यूज किए जाते हैं। वेदों के अनुसार पंचामृत मनुष्य के सफलता का आधार होता है। इसका पान करते ही ईश्वर आशीर्वाद का वरदान देने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इसके साथ उसके सारे कष्टों का निवारण भी भगवान स्वयं करते हैं ।पंचामृत को पीने से व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि की वर्षा होती है। इसमें मिश्रित सभी पदार्थों का अपना विशिष्ट महत्त्व है। जिससे संतान ज्ञान सुख और कीर्ति की प्राप्ति होती है।