इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट ने आंकडे़ जारी करते हुए दुनिया को पत्रकारों और उनके प्रति हो रहे अन्याय से अवगत कराया है। शुक्रवार को आईएफजे ने व्हाइट पेपर ऑन ग्लोबल जर्नलिज्म जारी किया है। इस पत्र में 5 देशों- इराक, मैक्सिको, फिलीपींस, पाकिस्तान और भारत को दुनिया में पत्रकारिता के लिए सबसे खतरनाक देश के रूप में सूचीबद्ध किया है। इराक, मैक्सिको, फिलीपींस, पाकिस्तान और भारत में पत्रकारो को सुरक्षा नहीं मिलती है। इन पेशेवर पत्रकारों पर हमले होते रहते हैं। 1990 के बाद से अब तक पाकिस्तान में लगभग हर साल पत्रकार मारे गये हैं। वहां तब से अब तक में 138 पत्रकारों की जानें गईं।
भारत के लिए यह आंकड़ा 116 है। भारत में पत्रकारों पर हो रहे हमले चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुके हैं। इन दोनों देशों में पत्रकारों की मौतों का प्रतिशत पूरे एशिया पैसिफिक क्षेत्र में हुई ऐसी घटनाओं का 40 फीसदी है। इस साल की शुरुआत से अब तक आईएफजे ने 15 देशों में निशाना बनाकर किए गए हमलों, बम विस्फोटों और गोलीबारी की घटनाओं में अब 42 पत्रकारों और मीडिया कर्मचारियों की हत्याओं को दर्ज किया है। 2019 में यह संख्या 49 थी। इस साल 4 पाकिस्तानी पत्रकारों जिसमें अजीज मेनन, जावेदुल्ला खान, अनवर जान, शहीना शाहीन हमले की शिकार हुईं। बलूचिस्तान प्रांत में 23 जुलाई को अनवर जान की हत्या के बाद न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन लगातार होने लगे।
पहले बरखान में विरोध शुरू हुआ जहां 2 बंदूकधारियों ने उन्हें गोली मारी थी। इसके बाद प्रांत की राजधानी क्वेटा और ग्वादर बंदरगाह शहर में विरोध शुरू हो गया। इस घटना के लिए न्याय की मांग करते हुए सोशल मीडिया पर हैशटैग भी बनाया गया। पाकिस्तान की स्थितियों को लेकर संकट की स्थिति बनी हुई है। काउंसिल ऑफ पाकिस्तान न्यूजपेपर एडिटर्स के मुताबिक पिछले साल 2019 में देश भर में कम से कम 7 पत्रकार मारे गए थे। ज्ञात हो कि पत्रकारिता एक बुद्धिजीवी पेशा है और इस पेशेेवरों को निशाना बनाया जाना दुखद है। आईएफजे द्वारा आंकडे़ के बाद शायद कुछ सुधार आये।