भारत चीन से होने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है। सीएनबीसी-आवाज को सूत्रों से मिली एक्सक्सूलिव जानकारी के मुताबिक, भारत एसीबी से होने वाले एफडीआई पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। चीन से कर्ज या इसीबी से निवेश पर शिकंजा कसा जा सकता है। इस पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और मार्केट रेगुलेट सेबी (सेबी) और वित्त मंत्रालय के बीच चर्चा हुई है।
यह फैसला इसलिए लिया गया है ताकि कोविड-19 की वजह से उत्पन्न नाजुक परिस्थितियों का फायदा उठाकर पड़ोसी देशों की विदेशी कंपनियां घरेलू कंपनियों का अधिग्रहण न कर लें। देश में चीन और पाकिस्तान से किसी भी सेक्टर में निवेश से पहले सरकारी की अनुमति लेना जरूरी है. सरकार का यह फैसला बेहद अहम है। घरेलू कंपनियों के विदेशी कंपनियों द्वारा अधिग्रहण से बचाने के लिए किया गया है। कोरोना के दौरान शेयरों में आई गिरावट के कारण चीन का निवेश बढ़ने की आशंका के चलते कानूनों को सख्त बनाया गया था।
चीन से होने वाले निवेश यानी FDI पर सख्ती और बढ़ सकती है। #Awaaz को मिली #Exclusive जानकारी के मुताबिक सरकार इससे जुड़े नियम में बदलाव करने की तैयारी में है। पूरी खबर बता रहे हैं @RoyLakshman pic.twitter.com/4ZxNuWostT
— CNBC-AWAAZ (@CNBC_Awaaz) July 17, 2020
अप्रैल में चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (पीबीओसी) ने हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई थी। हालांकि जून तिमाही की समाप्ति पर पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना की एचडीएफसी में हिस्सेदारी घटकर 1 फीसदी से कम हो गई है। मार्च तिमाही के अंत में पीबीओसी के पास एचडीएफसी के 1.75 करोड़ शेयर थे। यह बैंक की 1.01 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर थे।