पुणे की सफलता पर ज्यादा जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि, इस किट को 1 महीने से भी कम समय में तैयार किया गया है. इसकी मदद से शरीर में सार्स-सीओवी-2 रोधी एंटीबॉडी के बारे में पता लगाया जाएगा. केंद्रीय मंत्री ने इस कामयाबी पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, इस टेस्ट किट के नतीजे बेहतर होंगे और इसकी मदद से अस्पताल और अन्य चिकित्सा केंद्रों या जिन केंद्रों में जांच हो रही है. वहां के लोगों की बड़ी संख्या में लोगों की जांच हो सकेगी.
जब जांच का दायरा बढ़ेगा तो कोरोना से भी जल्दी निपटने में आसानी मिलेगी. क्योंकि, जांच किट का होना बहुत जरूरी था जो पुणे ने तैयार कर दी है. अच्छी बात ये है कि, इस किट के परिणाम भी बेहतर देखने को मिले हैं. इसलिए इस किट को सरकार की तरफ से भी मंजूरी दी गई है.
National Institute of Virology, Pune has successfully developed the 1st indigenous anti-SARS-CoV-2 human IgG ELISA test kit for antibody detection of #COVID19 .
This robust test will play a critical role in surveillance of proportion of population exposed to #SARSCoV2 infection pic.twitter.com/pEJdM6MOX6
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) May 10, 2020
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ये भी कहा कि, पुणे द्वारा बनाई गई टेस्ट किट को दवा कंपनी जायडस (zydus cadila) की तरफ से अनुमति मिल चुकी है. साथ ही कंपनी ने उन्हें बड़े पैमाने पर इसको विकसित करने की भी अनुमति दे दी है. बता दें, इस तकनीक के माध्यम से ऐसे लोगों के खून में एंटीबॉडी का पता लगाया जाएगा जो पहले कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं.