गन्ने (Sugarcane) का खरीद मूल्य केंद्र सरकार ने 5 रुपए प्रति क्विंटल बढ़ाने का फैसला किया है। इसे सरकारी भाषा में फेयर एंड रिम्यूनरेटिव प्राइस कहते हैं। गन्ने का मूल्य अब 285 रुपए से बढ़कर 290 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। चीनी मिल द्वारा गन्ना किसानों को अब इस रेट पर ही भुगतान करना होगा। केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष भी गन्ने के दाम में 10 रुपए की बढ़ोतरी की थी। ऐसे में सवाल उठाने लगा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव चुनाव से पहले योगी सरकार गन्ने का खरीद मूल्य बढ़ाएगी, जिसका फायदा किसानों को मिल पाए।
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि केंद्र द्वारा अगर गन्ने का दाम बढ़ाया जाता है तो यह जरुरी नहीं है कि केंद्र द्वारा तय रेट पर प्रदेश सरकार भी गन्ने की खरीद का भुगतान करे। राज्य सरकार द्वारा गन्ने की खरीद का मूल्य खुद तय किया जाता है। उत्तर प्रदेश में गन्ने की फसल का रेट पहले ही ज्यादा है और जो अभी भी केंद्र सरकार के रेट बढ़ाने के बाद भी ज्यादा ही है।
उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में गन्ने के तीन रेट तय हैं। पहला- 310, दूसरा -315 और तीसरा 325 रुपए है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा गन्ने नए दाम 290 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है। जो उत्तर प्रदेश में हो रहे गन्ने की भुगतान से बेहद कम है। इसका लाभ प्रदेश के किसानों को नहीं मिलेगा। गन्ने का सीजन शुरू होने से पहले सरकार द्वारा उसकी कीमत तय की जाती है। गन्ना सीजन सितंबर माह से शुरू होता है।
एक कमेटी के द्वारा फसल का समर्थन मूल्य तय किया जाता है, जो फसल का मूल्य तय करने की सिफारिश सरकार से करती है। उत्तर प्रदेश में इस कमेटी की अगले कुछ दिनों में ही बैठक होने वाली है। अगर इस बैठक में गन्ने का रेट बढ़ाने बढ़ाने का फैसला लिया गया तो उसका लाभ किसानों को मिलेगा वरना उत्तर प्रदेश के किसानों को केंद्र द्वारा दाम बढ़ाने के बाद भी कोई लाभ नहीं होगा।