सब्जी का ठेला लगाने वाला रात में करता था पढ़ाई, अब सिविल जज बनकर पुरे गाँव का किया नाम रोशन

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हमारे संसार में बहुत से ऐसे परिवार देखने को मिल जाएंगे जो आर्थिक संकट के कारण अपने सपनों को पूरा करने के लिए कई सारी मुसीबतों का सामना करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं. मेहनत और लगन की जाए तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता अवश्य ही वह सपना पूरा होता है. आज हम ऐसे ही परिवार के एक लड़के को लेकर चर्चा करेंगे जहां आर्थिक संकट के चलते हुए उसने अपनी पढ़ाई को पूरी लगन और मेहनत से किया.

इसके पश्चात अपने सपने को साकार करने में भी सफल रहा.लेकिन इसमें जज बनने सफलता को प्राप्त करने के लिए काफी ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. पूरा दिन सब्जी का ठेला लगाना और रात को पूरी मेहनत से पढ़ाई पर ध्यान देना. पढ़ाई करना यह सभी काफी कठिन होता था. लेकिन एग्जाम के दो-तीन बार असफलता के बाद पढ़ाई 24 घंटे में 18 घंटे करनी शुरू कर दिया .

आज हम आप से सतना के एक ऐसे परिवार के बारे में चर्चा करेंगे जहां मां का सपना था बेटा जज की कुर्सी पर बैठे. आपको बतादे मध्य प्रदेश के सतना जिले रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा के बारे में आपसे चर्चा करेगे. सतना जिले केअमरपाटन में रहने वाले शिवाकांत कुशवाहा एक गरीब परिवार से हैं.उनके पिता का नाम कुंजी लाल था वह मजदूरी का कार्य कर अपना परिवार खर्च चलाते थे.गरीब परिवार से होने के कारण वो दिन भर सब्जी का ठेला लगाता और रात में पढ़ाई किया करता था.

शिवाकांत पढ़ाई में बहुत होशयार थे इसी कारण से उन्होंने पढ़ना जारी रखा. घर की जिम्मेदारी संभालने के लिए वो सब्जी का ठेला लगाने लगे.उनकी मां का सपना था कि उनका बेटा जज बने.इस कारण उन्होंने रीवा के ठाकुर रणमत सिंह कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की.

माँ का सपना पूरा करने के लिए शिवाकांत ने जज बनने की ठान ली थी. उन्होंने सिविल जज की परीक्षा देनी शुरू करदी वो परीक्षा की तैयारी के साथ ही सब्जी भी बेचा करते थे. उन्होंने पहली बार जज का एग्जाम दिया तो असफल हो गए. इसके पश्चात असफलता ने उनका पीछा नहीं छोड़ा.एक के बाद एक चार बार उनको असफलता मिली.

इसके पश्चात् भी उन्होंने हार ना मानी.वही उनकी पत्नी ने बताया वो 24 में से 18 घंटे पढ़ाई करने लगे. फिर पांचवी बार वो सिविल जज के एग्जाम में बैठे. इस बार जब रिजल्ट आया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए. ओबीसी वर्ग में पूरे मध्य प्रदेश में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया था. उनकी मां का सपना पूरा हो गया और वो जज बन गए.

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