सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों को फीस में कटौती करने का दिया आदेश, कहा- ऑनलाइन क्लास में हो रहा है फायदा

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कोरोना संकट के दौरान देश में सभी स्कूल ऑनलाइन क्लास ले रहे हैं लेकिन फीस पूरी वसूल रहे हैं। इसे लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऑनलाइन क्लास चला रहे स्कूलों का खर्चा जो बच रहा है। इसका लाभ छात्रों को भी मिलना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने यह आदेश राजस्थान के स्कूलों को लेकर दिया है। कोर्ट के इस आदेश के आधार पर अन्य राज्यों के अभिभावक भी यह मांग कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश राज्य के प्राइवेट स्कूलों से सम्बंधित मामले को लेकर दिया है। पिछले दिनों राज्य सरकार ने स्कूलों से कहा है था कि वो अपनी ट्यूशन फीस तीस प्रतिशत की कमी करें लेकिन स्कूल राज्य सरकार के इस आदेश के खिलाफ ही सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे। सुप्रीम कोर्ट से स्कूलों को बड़ी राहत तो नहीं मिली लेकिन हां कोर्ट ने आदेश दिया है कि वो 15 प्रतिशत फीस कटौती करें।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की बेंच ने स्कूलों के द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए माना है कि कानूनी तौर पर राज्य सरकार को प्राइवेट स्कूल से फीस में कटौती करने के लिए कहना सही नहीं है लेकिन कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ये भी कहा कि पिछले 12 माह में बिजली, पानी, पेट्रोल-डीजल, मेंटेनेंस, स्टेशनरी का खर्चे में स्कूल ने काफी बचत भी की है। अगर इसका लाभ छात्रों को नहीं मिलता है तो ये स्कूल की अनुचित मुनाफाखोरी होगी।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सुनवाई के दौरान न ही छात्रों के माता पिता और न ही स्कूलों द्वारा इस बात का सही आंकड़ा दिया गया कि, स्कूल की तो बचत है वो स्कूल की फीस का कितना प्रतिशत है। ऐसा नहीं लगता है कि ये बचत 15 प्रतिशत से कम होगी। कोर्ट ने ये भी कहा है कि अभिभावकों को ये फीस छह किस्तों में देने सुविधा दी जाये और किसी छात्र को फीस न देने की वजह से ऑनलाइन क्लास या फिजिकल क्लास में शामिल होने से न रोका जाए।

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