अंग्रेज हमारी माताओं और बहनों के साथ क्या क्या करते थे, कितने हेवानियत भरे थे ये लोग

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अंग्रेज़ अधिकारियों के साथ समस्या क्या होती थी कि मान लो किसी उच्च अधिकारी को किसी किसान ने शिकायत की और बलत्कार किसी निचले सतर के अधिकारी ने किया हो तो उच्च अधिकारी अपने से निचले अधिकारी को बचाने मे लग जाता था , उसको बचाने के लिए फिर अंग्रेज़ो ने एक रास्ता निकाला और फिर उस रास्ते को कानून मे बदल दिया ।

बलत्कार के खिलाफ अंग्रेज़ो ने जो पहला कानून बनाया तो उसमे व्यवस्था ये कर दी कि मान लो अगर किसी माँ-बहन-बेटी के साथ बलत्कार हुआ है तो उस माँ बहन बेटी को अंग्रेज़ो की अदालत मे आकर सिद्ध करना होगा कि उसके साथ बलत्कार हुआ है ,जिस अंग्रेज़ ने बलत्कार किया है उसको कुछ सिद्ध नहीं करना पड़ेगा , और जब तक सिद्ध नहीं होगा ,उस अंग्रेज़ को अपराधी नहीं माना जाएगा । तो इस प्रकार का कानून बना दिया अंग्रेज़ो ने ।

ये कानून बनते ही इस देश मे बलत्कार की बाढ़ आ गई ,हर गाँव मे हर शहर मे माताओं बहनो की इज्जत से अंग्रेज़ो ने खेलना शुरू किया ,क्योंकि अंग्रेज़ो को मालूम था कोई भी माँ बहन बेटी अदालत मे ये सिद्ध कर ही नहीं सकती की उसके ऊपर बलत्कार हुआ है कानून की गलियाँ ही इतनी टेढ़ी बनाई गई की किसी भी माँ बहन बेटी को ये सिद्ध करना ही बिलकुल असंभव हो जाए की उसके ऊपर बलत्कार हुआ है ,

आप सोचिए मित्रो इससे बढ़ा अत्याचार क्या हो सकता है ? कि जिसके ऊपर अत्याचार हुआ उसे सिद्ध करना है कि उसके ऊपर अत्याचार हुआ जिसने अत्याचार किया उसे कुछ भी सिद्ध नहीं करना है कि इसने अत्याचार किया ।
परिणाम ये होता था कि अगर 100 अंग्रेज़ बलत्कार करते थे तो उनमे से मात्र 2-3 के के खिलाफ ही साबित हो पाता था और उनको ही सजा मिल पाती थी
97-98 अंग्रेज़ बिलकुल छूट जाते थे ।

कई अंग्रेज़ अधिकारियों की निजी डायरी के दस्तावेज़ मौजूद है ,एक अंग्रेज़ अधिकारी था जिसका नाम था कर्नल नील , उसकी डायरी के कुछ पन्ने है उसमे वो लिख रहा है की जहां -जहां मेरी नियुक्ति हुई कोई दिन ऐसा नहीं गया जब मैंने किसी माँ ,बहन बेटी से बलात्कार नहीं किया हो । ये नील की डायरी के अपने लिखे हुए शब्द है आप सोचिए कितने हैवानियत भरे थे ये अंग्रेज़ ।

मित्रो ये सब अंग्रेज़ो ने किया कानून की मदद से किया , बलत्कार का कानून ही ऐसा बना दिया की कोई भी माँ बहन-बेटी सिद्ध ही ना कर सके और किसी भी अंग्रेज़ को सजा ही न हो ,और यही कानून मित्रो आजादी मिलने के 15 अगस्त 1947 के बाद जला देना चाहिए था खत्म कर देना चाहिए ,लेकिन बहुत अफसोस की बात है आजादी मिलने 69 वर्ष बाद आज भी ये कानून ऐसे ही चल रहा है ।

आज भी माताओं,बहनो बेटियों के साथ बलत्कार हो रहे है और उन्हे अदालतों मे सिद्ध करना पड़ रहा है की उनके खिलाफ अत्याचार हुआ है अत्याचार करने वाले को कुछ सिद्ध नहीं करना पड़ रहा । आप जानते है की किसी भी सभ्य माँ बहन बेटी को अगर आप पूछे की उसके साथ बलत्कार हुआ है कैसे हुआ है ,? तो वो अगर थोड़ी भी सभ्य सुसंस्कृत है वो उत्तर नहीं दे सकती है और उनके मौन का फायदा उठा कर ये कानून हमारे देश की करोड़ो माँ बहन बेटियों से खिलवाड़ कर रहा है

बहुत दुख है ये कहते हुए कि बलत्कार के 100 मुकदमे अगर पुलिस के यहाँ रजिस्टर होते है मात्र 5 मे ही आरोपी को सजा मिल पाती है 95 अपराधो मे अपराधी छूट कर बरी हो जाते है क्योंकि कानून अंग्रेज़ो के समय का बनाया हुआ है।

अब बलत्कार के कानून हो ,चोरी डैकेती के कानून हो, पुलिस के कानून हो,प्रशासन के कानून हो टैक्स के कानून हो ,शिक्षा व्यवस्था के कानून हो या जंगलो की सुरक्षा के कानून हो , सब के सब अंग्रेज़ो के बनाये हुए ,सब के सब उनके चलाये हुए तो आप कैसे आशा कर सकते है की भारत के लोगो को इन कानूनों से न्याय मिल जाएगा ??

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