दरअसल एलोपेथी डॉक्टर बहुत कहते है के अन्डे खाना बहुत आवश्यक है और उनका हिसाब किताब प्रोटीन वाला है ! वो कहते है प्रोटीन इसमें ज्यादा है विटामिन A ज्यादा है । लेकिन वो ऐसा क्यों कहते है ?? क्यों की उन्होने अपनी किताबों मे पढ़ा है लेकिन क्यों पढ़ा है ?? हमारे डॉक्टर जो पढाई करते है जैसे MBBS , MS, MD ये पूरी पढाई बाहर से आई है अर्थात यूरोप से आयी है और यूरोप के देशों मे साल के 8 महीने तो बर्फ होती है खाने-पीने की प्रकर्तिक चीजें उनके पास ज्यादा है नहीं (और जो है वो सब हमारे यहाँ से जाती है जैसे फल ,सब्जियाँ आयुर्वेदिक ओषधियाँ आदि
अब वहाँ जो लोग होंगे जब कभी एलोपेथी चिकित्सा की किताबें लिखी गई होंगी उनके पास मांस और अन्डे के इलावा और कुछ नही होगा । तो उनकी जो पुस्तके है उनमे वो ही लिखा जायेगा जो वहाँ उपलब्ध है । और यूरोप में पूरा इलाका बहुत ठंडा है !सब्जी होती नही, दाल होती नही हैं ! पर अंडा बहुत मिलता है क्योकि मुर्गियां बहुत है ।
अब हमारे देश में भी वो ही चिकित्सा पढ़ा रहे है क्यूंकि आजादी के 67 साल बाद भी कोई कानून बदला नहीं गया ! पर उस चिकित्सा को हमने हमारे देश की जरुरत के हिसाब से बदल नही किया अर्थात उन पुस्तकों में बदवाल होना चाहिए , उसमे लिखा होना चाहिए भारत में अन्डे की जरुरत नही है क्योकि भारत में अन्डे का विकल्प बहुत कुछ है । पर ये बदवाल हुआ नही और हमारे डॉक्टर वो पुस्तक पढ़ कर निकलते है और बोलते रहते है अन्डे खाओ मांस खाओ । आयुर्वेद की पढाई पढ़ कर जो डॉक्टर निकलते है वो कभी नही कहते के अन्डे खाओ । अन्डे में प्रोटीन है पर सबसे ज्यादा प्रोटीन तो उड़द की दाल में है, फिर चने की डाल, मसूर की डाल. इसके आलावा ये कहा जाता है कि अन्डे में विटामिन A हैं पर सत्य ये है कि उससे ज्यादा दूध में है ।