इंसान का मूड बदलना भी एक बीमारी है जिसके घातक परिणाम होते हैं

इंसान का मूड बदलना भी एक बीमारी है जिसके घातक परिणाम होते हैं :– बहुत से लोगों की दुनिया उनके मूड के हिसाब से चलती है। मूडी लोगों की दुनिया में कोई कमी नहीं है। मूड या मन हुआ तो काम किया या फिर नहीं किया।

यह कुछ ऐसे विचित्र कारण हैं जो कि इंसान के मस्तिष्क में खुद पैदा होते हैं। सही मायनों में अगर इनको समझा जाए तो यह एक बीमारी है जिसको कि बाइपोलर-डिसऑर्डर बोला जाता है। इस बीमारी के चलते इंसान का मस्तिष्क उसके दिल की या जरूरत की मानने से इंकार कर देता है। इंसान या तो एकांकी हो जाता है अथवा डिप्रेशन में जाकर अकेलेपन में अपने को संतुष्ट महसूस करने लगता है।

बच्चे स्कूल या पढ़ाई से जी चुराने लगते हैं तो कामकाजी अपने कार्यालय या व्यापार से विमुख होने लगते है। इंसान सामाजिक जीवन से भी खुद को अलग-थलग कर लेता है।

इस बीमारी में इस स्थिति को एक नाम चिकित्सकों के द्वारा जो दिया गया है उसको मेनिया कहा जाता है। मेनिया हांलाकि एक बहुत ही दुर्लभ किस्म की बीमारी मानी जाती है जो कि लाखों में से कुछ लोगों को ही होती है लेकिन मस्तिष्क का यह विकार सही मायने में एक बेहद घातक परिस्थितियों को जन्म देता है।

बाइपोलर-डिसऑर्डर बीमारी के लक्षणों को तीन प्रकार से समझा जा सकता है।

उन्माद की स्थिति अथवा बेहद भावुकता की स्थिति या अवसाद की स्थिति इस बीमारी के लक्षणों को परिलक्षित करती है।

दूसरी तरह के लक्षणों को हाइपोमेनिया नाम दिया जाता है जिसमें बच्चे स्कूल, पढ़ाई अथवा दोस्तों से दूर भागने लगते हैं। लोग अपने कार्यालयों को जाने से कतराने लगते हैं। सामाजिकता उनके जीवन से जाने लगती हे और लोगों से मिलना व किसी से बात तक करने से वो कतराने लगते हैं।

जिन्दगी का उत्साह उनके जीवन से जाता रहता है। कोई भी खुशी या बहुत बड़ा दुख भी उन पर प्रभाव नहीं डाल पाता है। अवसाद या डिप्रेशन की यह तीसरी स्थिति बाइपोलर-डिसऑर्डर की सबसे खतरनाक स्थिति होती है।

अगर आपको अपने करीबियों या परिवार के लोगों अथवा खुद में इस प्रकार के परिवर्तन अथवा लक्षण दिखाई दें तो चिकित्सीय परामर्श जरूर लें क्योंकि इस घातक बीमारी से जिन्दगी भूचाल बन जाती है और आप खुद नहीं जानते हैं कि इससे कैसे निपटा जाए।

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