इतिहास का बहुत ही शक्तिशाली राजा, नाम सुनकर ही छक्के छूट जाते थे दुश्मन के !

इतिहास का बहुत ही शक्तिशाली राजा, नाम सुनकर ही छक्के छूट जाते थे दुश्मन के :- जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारतीय इतिहास की बात करें तो इतिहास में सम्राट अशोक एक महान शासक हुए थे। इनका जन्म 304 ईसा पूर्व पाटलिपुत्र में हुआ था। सम्राट अशोक की माता का नाम सुभ्रादांगी और इनके दादा सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य थे सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य का तीसरा शासक भी कहा जाता था। सम्राट अशोक को एक महान शासक बनने में चाणक्य ने बहुत सहायता की थी।

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बचपन से ही सम्राट अशोक को शिकार का बहुत शौक था। शिकार करने के मामले में सम्राट अशोक का कोई जवाब नहीं था। बड़े होने के बाद में उन्होंने अपने पिता के साथ साम्राज्य के कार्यों में भी सहायता की।

सम्राट अशोक की इन सभी गुणों के कारण ही इनके पिता बिंदु साहब ने इन्हें सम्राट घोषित कर दिया था सबसे पहले सम्राट अशोक ने उज्जैन का कार्यभार संभाला था। जब सम्राट अशोक ने अवंतिका शासन संभाला तो एक बहुत ही कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में इनकी पहचान हुई। उसी दौरान सम्राट अशोक ने विदिशा की राजकुमारी शाक्य कुमारी से विवाह रचाया था। शादी के बाद सम्राट अशोक को महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को जन्म दीया।

कहां जाता है कि सम्राट अशोक का साम्राज्य पूरे भारत में फैला हुआ था। धीरे-धीरे इंका साम्राज्य बहुत बड़ा साम्राज्य बन गया था। लेकिन आपको बता दें कि कलिंग युद्ध में बहुत बड़े स्तर पर खून खराबे को देखकर सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को अपना लिया था। इसके बाद इन्होंने शांति मार्ग को चुन लिया सम्राट अशोक ने अपने साम्राज्य के सभी लोगों को मंगल कार्यों में शामिल होने की भी सलाह दी थी।

सम्राट अशोक ने इन सब के बाद धर्म के प्रचार को ही अपना उद्देश्य बना लिया था इन्होंने धर्म के प्रचार के लिए बहुत सारे ग्रंथों का भी सहारा लिया। सम्राट अशोक ने 84 स्तूपो का निर्माण करवाया था। इसके लिए उन्होंने 3 साल का समय लिया वाराणसी के पास सारनाथ स्तूप के अवशेष आज भी देखने को मिलते हैं।

करीब 40 सालों के शासन के बाद सम्राट अशोक की मृत्यु हो गई थी। इनके पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा का धर्म प्रचार में बहुत बड़ा योगदान कहा जाता है। सम्राट अशोक की मौत के बाद भी मौर्य साम्राज्य लगभग 50 सालों तक चला था इतिहासकार यह भी बताते हैं कि सम्राट अशोक ने ही भारत को एक किया था।

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