मुंबई की इस कंपनी ने दावा किया है कि उसे भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) से इस दवा के निर्माण और मार्केटिंग की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने बताया कि फैबिफ्लू कोरोना के इलाज के लिए फेविपिराविर दवा है, जिसे अनुमति मिली है। ग्लेमार्क फार्मास्युटिल्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा ने बताया कि यह अनुमति ऐसे समय मिली है जब भारत में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे स्वास्थ्य सेवा काफी दबाव में काम कर रहा है।
उन्होंने उम्मीद जताते हुए बताया कि फैबिफ्लू के बाजार में आ जाने से इस दबाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि क्लीनिकल परीक्षणों में फैबिफ्लू ने कोरोना वायरस के हल्के संक्रमण से पीड़ित मरीजों पर काफी अच्छे नतीजे देखने को मिला है। उन्होंने कहा कि यह संक्रमितों के इलाज का सुविधाजनक विकल्प है। उन्होंने कहा कि देशभर में मरीजों को यह दवा आसानी से उपलब्ध हो सके इसके लिए कंपनी सरकार और चिकित्सा समुदाय के साथ मिलकर काम करेगी। चिकित्सक की सलाह पर यह दवा 103 रुपए प्रति टैबलेट के रेट पर मिलेगी।
कंपनी के अनुसार पहले दिन इसकी 1800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। उसके बाद 800 एमजी की दो खुराक 14 दिनों तक लेनी होगी। ग्लेनमार्क फार्मा ने यह भी दावा किया कि मामूली संक्रमण वाले मरीज जो मधुमेह या दिल की बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी यह दवा दी जा सकती है।