क्या हो अगर चलती हुई ट्रेन का ड्राईवर अचानक सो जाय तब क्या होगा?

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क्या आपने कभी सोचा है कि यदि उस ट्रेन का ड्राईवर यानि के लोको पायलट अगर गलती से सो जाए या उसके साथ कोई दुर्घटना हो जाए तो जय तब उस ट्रेन का क्या होगा? जिस व्यक्ति के भरोसे पूरी ट्रेन चल रही होती है.

ट्रेन के ड्राईवर को नींद या बेहोशी आने पर बहुत दिक्कत हो सकती है, ट्रेन में सफ़र करने वालों को ये पता ही नहीं चलेगा और सभी लोग आराम से ट्रेन के सफ़र का मज़ा ले रहे होते हैं.

क्या हो अगर चलती ट्रेन के ड्राईवर की झपकी लग जाए

आखिर ट्रेन का ड्राईवर भी तो एक इन्सान ही है, वो कोई मशीन तो है नहीं कि उसे नींद न आये. उसे अचानक हार्ट अटैक या बेहोशी हो सकती है, तब इस चलती हुई ट्रेन और उसमें बैठे लोगों का क्या होगा?.

हमारे देश में अक्सर कई ट्रेन हादसे होते रहते हैं, जिसमें कई लोगों की जान भी चली जाती है. क्या आप जानना नहीं चाहेंगे कि जिस ट्रेन में आप सफ़र करते हैं वो आपके लिए कितनी सेफ है.

हालाँकी जो भारतीय ट्रेन के ड्राईवर होते हैं वो अपनी ड्यूटी के प्रति काफी सजग होते हैं, उन्हें अपने काम और जिम्मेदारी को पूरा करने के लिए बेहतर ट्रेनिंग दी जाती है.

भारत में कितने प्रकार की रेल सेवाएँ चलती हैं

भारत में दो प्रकार की ट्रेन सेवाएं हैं, पहली केवल एक शहर से दूसरे शहर ट्रेवल करती हैं, और दूसरी लॉन्ग राइड की ट्रेन होती हैं जो काफी लम्बी दूरी तय करती हैं. एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक जाती हैं.

इन दोनों ट्रेन में काफी अंतर भी होता है, लोकल ट्रेन में बड़े इंजन नही लगे होते, इनमे बहुत कम पॉवर वाले दो इंजन लगे होते हैं. एक आगे तरफ और एक पीछे की तरफ, जो स्टेशन पर बिना इंजन बदले ट्रेन को आगे पीछे करने के काम आते हैं. ऐसी ट्रेन को चलाने के लिए एक ही लोको पायलेट होता है, जो आगे-पीछे जा सकता है.

डेड मेन स्विच क्या होता है? | What is Dead Man Switch [Hindi]

दोस्तों ट्रेन में एक ‘डेड मेन स्विच” नाम का बटन लगा होता है, जिसे ड्राईवर को कुछ मिनट के अन्तराल पर बार-बार दबा कर ट्रेन को लगातार गतिमान रखना होता है, अगर वो इस बटन को किसी वजह से ना दबा पाय तो कुछ देर में ट्रेन में आटोमेटिक ब्रेक लग जाते हैं और इस तरह ये बटन ट्रेन को रोक लेता है.

बगांल में इस तकनीक से बड़ा हादसा होने से टल गया था, क्योंकि उस ट्रेन का ड्राईवर विंडों से गिर गया था. लोको पायलट के लिए बार-बार इस बटन को दबाना एक झंझट का काम लगा, क्योंकि इसकी वजह से उन्हें आराम नही मिल पाता था, उनकी शिकायत पर इसे हटा दिया गया था. ट्रेन एक्सपर्ट इस बटन को हटाकर बिजलेंस सिक्यूरिटी फीचर इम्प्लीमेंट करना चाहते थे.

एक बार हुयी थी बड़ी चूक

लेकिन साल 2010 में, एक लोको पायलट से चूक हुई और हादसा हुआ जिसमें दो रेलों की आपस में भिडंत हो गयी थी और इसमें 65 लोगों की जान चली गई थी.

अगर उन ट्रेन में ये ‘डेड मेन बटन’ लगा हुआ होता तो ये हादसा न हुआ होता, यह तब हुआ था जब कुछ समय के लिय इस बटन को हटा दिया गया था. इसके बाद फिरसे उसी तकनीक को इस्तेमाल किया जाने लगा.

दोस्तों पिछले कुछ सालों में हमारा भारतीय रेलवे सिस्टम तकनीकी रूप से बहुत ही एडवांस हो चुका है, और आपके सुरक्षा से जुड़े सभी सवालों का जबाब देने में सक्षम है इसलिए बेफ्रिक होकर अपने ट्रेन के सफ़र मज़ा ले सकते हैं.

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