इस आंदोलन के तहत देशविरोध एजेंडा चलाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं हो रहा है, बल्कि अन्य देशों में किसानों के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन में भी ऐसी तस्वीर देखने को मिल रही है। बताते चलें कि किसान आंदोलन को समर्थन न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के अन्य देशों से भी मिल रहा है। इसी क्रम में अमेरिका में हुए एक प्रदर्शन के महात्मा गांधी की प्रतिमा को नुकसान पहुंचाया गया है। साथ ही इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तानी झंडे भी लहराए। अमेरिका में यह प्रदर्शन भारतीय दूतावास के समक्ष किया गया और इस दौरान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की गई।
गौरतलब है कि भारत में कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन दिल्ली सहित अन्य शहरों में जोर—शोर से चल रहा है। केंद्र सरकार की तरफ से किसानों मांगों पर लिखित आश्वासन दिए जाने के बाद अब किसान इन कानूनों को रद किए जाने की मांग पर अड़ गए हैं। इसको लेकर सरकार और किसान संगठनों के नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन किसान अपनी हठ छोड़ने को तैयार नहीं हैं। एकतरफ जहां किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार ने भी साफ कर दिया है कि सुझाव पर कानून में हर संभव संशोधन किया जाएगा, लेकिन कानून किसी भी सूरत में वापस नहीं होगा।
इन सबके बीच किसान आंदोलन में रोजना कुछ नया होता दिख रहा है। आंदोलन के शुरुआत में जहां खालिस्तानी समर्थन में नारे लगे वहीं अब प्रदर्शनकारियों ने पोस्टर लहराया है, जिसमें शरजिल इमाम और उमर खालिद की रिहाई की मांग की गई है। ये दोनों के तार देशविरोधी गतिविधियों और दिल्ली दंगों से जुड़े हैं। ऐसे में अगर किसान आंदोलन की आड़ में इनकी रिहाई की मांग हो रही है, तो यह सहज ही समझ में आ जाता है कि यह आंदोलन अब सिर्फ किसानों का नहीं रह गया है। किसानों का यह आंदोलन अब अपने असल मुद्दे से भटक गया है।