जिस कानून का विरोध कर रहे हैं अन्नदाता, उसी से मिला किसानों को इंसाफ, जानें पूरा माजरा

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पिछले कुछ माह तक तो कंपनी किसानों से धान खरीदती रही, मगर अब दिसंबर का महीना आते ही कंपनी ने किसानों की फसल खरीदने से इनकार कर दिया, जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान हुआ, मगर किसान यहीं नहीं रूके उन्होंने कंपनी के खिलाफ एसडीएम को दर्ज कराई शिकायत में कहा कि पहले कंपनी ने हमारे साथ अनुबंध किया, फिर इसके बाद कहेी हुई बातों से मुकर गए।

हरकत में आए एसडीएम 
बता दें कि एसडीएम को दर्ज कराई शिकायत के बाद सूबे का कृषि विभाग हरकत में आ गया।  दर्ज कराई गई शिकायत के मुताबिक,  जून 2020 में फॉर्चून राइस लिमिटेड कंपनी ने दिल्ली में लिखित करार किया था। हालांकि, कुछ महीनों तक अनुबंध के मुताबिक किसानों से कंपनी ने फसल की खरीद की, मगर संबंधित धान के भाव 3000 रुपये प्रति क्विंटंल होने पर नौ दिसंबर को कंपनी के कर्मचारियों ने खरीदी बंद कर फोन बंद कर लिए, लेकिन कृषि विभाग ने  किसानों को इंसाफ दिलाने हेतु सर्वप्रथम कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट की धारा 14 के तहत व्यापारियों के न मानने के खिलाफ आदेश पारित कराने  का निर्देश दिया।

इसके बाद फिर 24 घंटे के् दरम्यिान एसडीएम ने कंपनी के आलाधिकारियों से जवाब दाखिल करने को कहा। वहीं, बोर्ड के समक्ष कंपनी ने अपनी चूक मानते हुए कहा कि उन्होंने किसानों की फसल खऱीदने से इनकार कर दिया था। बोर्ड में सहमति के आधार पर फॉर्चून राइस लिमिटेड कंपनी दिल्ली ने अनुबंधित कृषकों से 2950 रुपये के साथ 50 रुपये बोनस कुल 3,000 प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने के लिए सहमति दी। इस पूरे प्रसंग के बाद बोर्ड कंपनी को किसानों की फसल खरीदने सहित उन्हें वाजिब कीमत देने की बात कही।

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