पाकिस्तान: पीने को नहीं है पानी, गिलगित-बाल्टिस्तान में करा रहा है चुनाव, भारत ने किया कड़ा विरोध

राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी किए आदेश में कहा गया है कि निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव कराने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान में एक कार्यवाहक सरकार बनाने के लिए कानूनों में संशोधन आवश्यक था। डॉन अखबार में प्रकाशित एक खबर के अनुसार, सत्तारूढ़ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) की गिलगित-बाल्टिस्तान इकाई के अध्यक्ष सैयद जफर शाह ने कहा कि क्षेत्र में कार्यवाहक सरकार बनाने का कोई प्रावधान नहीं था और राष्ट्रपति के आदेश के बाद इस मुश्किल को हटा दिया गया है। राष्ट्रपति कार्यालय से यह आदेश तब जारी किया गया है जब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 30 अप्रैल को संघीय सरकार को क्षेत्र में आम चुनाव कराने के लिए 2018 के एक प्रशासनिक आदेश में संशोधन करने की मंजूरी दे दी थी।

उन्होंने बताया कि गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा चुनाव समय पर होंगे और कार्यवाहक सरकार दो महीनों के भीतर चुनाव कराने की व्यवस्था करेगी। विशेष परिस्थितियों में कार्यवाहक सरकार का कार्यकाल बढ़ाने का कानून भी है। एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में कोविड-19 से पैदा हुई स्थिति बाधा नहीं होगी। हालांकि, इन परिस्थितियों में चुनाव कराने के लिए विशेष इंतजाम किए जाएंगे।

मालूम हो कि कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान मामलों के संघीय मंत्रालय द्वारा शनिवार को जारी की गई एक अधिसूचना के अनुसार राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने गिलगित-बाल्टिस्तान में निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए ”गिलगित-बाल्टिस्तान चुनाव एवं कार्यवाहक संशोधन आदेश जारी किया है। गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा का पांच साल का कार्यकाल 24 जून को पूरा हो रहा है। वहीं इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक को डेमार्श (आपत्ति पत्र) जारी कर अदालत के आदेश पर कड़ा विरोध दर्ज कराया था और साफ तौर पर यह कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान के इलाकों समेत जम्मू कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है।

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