बंगाल में चुनाव से पहले ओवैसी ने बिगाड़ा ममता का पूरा खेल, अब तो चुकानी होगी भारी कीमत

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ओवैसी की एंट्री से ममता का वो अल्पसंख्यक वोट बैंक खिसकता दिख रहा है। जिसके सहारे कल तक दीदी को सत्ता का चरम सुख मिलता रहा है।  अब ऐसे  आलम में ममता के  पास अपनी सत्ता को महफूज रखने का महज एक ही रास्ता बचा है।  वो है विपक्षी नौका। जिसकी सवारी कर फिर से दीदी सत्ता का सुख प्राप्त करना चाहती है, लेकिन अफसोस दीदी का यह दांव  काम नहीं कर रहा है।

एक तरफ जहां कांग्रेस वाममोर्चा एकजुट होकर बीजेेपी  के विजयी रथ को रोकने में जुट चुके हैं,  तो वहीं टीएमसी  में नेताओं के रूखसतों का दौर थमता नहीं दिख रहा था। गौरतलब है कि टीएमसी से खफा होकर होकर नेता बीजेेपी का दामन थाम रहे हैं, जिसकी फेहरिस्त दिन व दिन लंबी चौड़ी होती जा रही है और यह टीएमसी के  कोई मामूली नेता नहीं बल्कि  प्रदेश के बहुत वोट बैंक पर इसका व्यापक असर पड़ता है।  चाहे बात  सुवेंदु अधिकारी  की करें या फिर शताब्दी रॉय  की। यह ऐसे नेता  है, जिन्हें टीेएमसी के मजबूत स्तंभ के रूप में देखा जाता है, लेकिन अफसोस  यह स्तंभ अब दरकता हुआ नजर आ रहा है।  जिसकी भारी कीमत इस चुनाव में  ममता  को चुकानी पड़ सकती है।

वहीं,  ममता दीदी का सियासी किला महफूज रहे इसके लिए कांग्रेस ने ममता की अपनी पार्टी कांग्रेस  में वियल कराने की हिदायत दी है, लेकिन दीदी को यह गवारा  नहीं  लग रहा है कि जिस पार्टी के खिलाफ कल तक वे मोर्चा खोलती हुई आई आज आखिर  उसके साथ हाथ कैसे मिलाया जाए। अब ऐसे में ममता को  इसकी क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही तय करेगा।

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