ज्ञात हो कि कंपनियों पर उपभोक्ताओं का उदय व ट्रूअप में वर्ष 2017-18 तक कुल 13,337 करोड़ रुपए और कैरिंग कॉस्ट का 13 प्रतिशत जोड़ कर लगभग 14,782 करोड़ रुपए बनता है। बिजली कंपनियों ने निजी हित को ध्यान में रखते हुए बिजली दरों में वृद्धि के लिए लाइन हानियों का सहारा लिया है। इसी के चलते बिजली कंपनियों ने दर बढ़ाने के नियत से 6 फीसदी लाइन हानियां बढ़ा कर एआरआर दाखिल किया। इसमें हानि का गैप करीब 4500 करोड़ रुपए दिखाया गया है। जानकारी के मुताबिक पावर कार्पोरेशन ने नियामक आयोग की तरफ से मांगी गई कमियों पर जबाब दाखिल कर एआरआर स्वीकार करवाना चाह रहा है।
इस मामले में उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि बिजली कंपनियों की ओर से अभी तक कैटेगरी के अनुसार बिजली दर बढ़ोत्तरी का कोई प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया है। एआरआर पर जो जवाब प्रस्तुत किया गया है। उसमें पावर कार्पोरेशन ने नियामक आयोग से अपने हानि के गैप की भरपाई कराने की मांग उठाई है। यानी, बिजली कंपनियों के हानि का गैप पूरा करने के लिए आयोग खुद बिजली की दर बढ़ाने का फैसला ले। इससे साफ हो रहा है कि एआरआर स्वीकार कर बिजली दर बढ़ोतरी की पूरी तैयारी चल रही है।