महाभारत युद्ध में एक अरब, छाछठ करोड़, बीस हजार योद्धा मारे गए थे, जानिये क्या हुआ उनके शबो के साथ

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महाभारत ( Mahabharat War) की गाथा तो आपने खूब सुनी होगी, जिसमे कौरबो और पांडवो के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ। महाभारत युद्ध की गाथा जितनी अनोखी है उतनी ही विचित्र भी। महाभारत के रचियता गुरु वेद्ब्यास जी को बताया जाता है। इस ग्रन्थ में बहुत सी ऐसी बाते भी है, जिसके बारे में आम नागरिक बहुत कम ही जानते है। तो आइये आज हम आपको महाभारत युद्ध सम्पति के बाद की कहानी के कुछ अंश बताते है। आपको बताते है, कि महाभारत युद्ध में कितने सैनिक मारे गए थे। आपको बताते है आखिर उन सभी मारे गए सैनिकों के साथ क्या हुआ ? और साथ ही बताते है, की कौरबो के पिता धृतराष्ट्र महाबली भीम को क्यों मारना चाहते थे। तो आइये बताते है, थोड़ा बिस्तार से।

18 दिन चल इस भीषण युद्ध में कौरबो और पाण्डबों की तरफ से कुल मिलाकर एक अरब, छाछठ करोड़, बीस हजार योद्धा मारे गए थे। इसके अलावा चौबीस हजार एक सौ पैंसठ योद्धाओं की कोई जानकारी नहीं है। महाभारत युद्ध पांडवो ने जीता और कौरबो की पूरी सेना युद्ध में मारी गयी। युद्ध बिजय के पश्चात पांडब भगवान् श्री कृष्ण के साथ धृतराष्ट्र और गांधारी से मिलने उनके महल पहुंचे।

पांडवो कौरबो के पिता राजा धृतराष्ट्र और माता गांधारी को प्रणाम किया, तत्पश्चात धृतराष्ट्र ने भीम को गले लगाने की इच्छा प्रकट की। श्री कृष्ण धृतराष्ट्र की चाल को पहले ही समझ गए, क्यूंकि राजा धृतराष्ट्र अपने कौरब पुत्र की मृत्यु का बदला पांडवो से लेना चाहते थे। और इसके लिए बह भीम को गले लगा उसको मृत्यदंड देना चाहते थे। महाभारत में उल्लेख के अनुसार भगवान् श्री कृष्ण भलीभांति जानते थे, कि राजा धृतराष्ट्र की भुजाओ में १०० हाथियों का बल है। बह भीम को गले लगा कर मूर्ति बना तोड़ देते।

इस लिए भगवान् श्री कृष्ण ने तुरंत महाबली भीम की मूर्ति को भीम की जगह प्रस्तुत किया। और राजा धृतराष्ट्र को अपनी इच्छा पूरी करने के लिए कहा, राजा धृतराष्ट्र को कुछ दिखाई नहीं देता था उनकी आँखों पर पट्टी बंधी हुई थी। उन्होंने मिट्टी के भीम को गले लगाया और देखते ही देखते अपनी भुजाओ को कस दिया, सबके सामने मूर्ति के टुकड़े हो गए। और भगवान् श्री कृष्ण की सूझबूझ से महाबली भीम की जान बच गयी।

इसके बाद सभी पांडव माता गांधारी से मिले अपनी पुत्रो की मृत्यु से बह भी पांडवो से नाराज थी। लेकिन श्रीकृष्ण के समझाने पर उनका गुस्सा भी कुछ ही पलो में शांत हो गया। इसके बाद महर्षि वेदव्यास के कहने पर युधिष्ठिर सभी को साथ लेकर कुरुक्षेत्र गए।

युद्ध मैदान में पहुँच राजा ध्रतराष्ट्र ने युधिष्ठिर से युद्ध में मारे गए योद्धाओं की संख्या पूछा तो उन्होंने बताया कि- इस युद्ध में एक अरब, छाछठ करोड़, बीस हजार योद्धा मारे गए हैं। इसके अलावा चौबीस हजार एक सौ पैंसठ योद्धाओं की कोई जानकारी नहीं है।

युद्ध में मारे गए सभी सैनिको के प्रति राजा धृतराष्ट्र ने दुःख प्रकट किया और मारे गए सभी सैनिको का अंतिम संस्कार करने को कहा। इस ओर युधिष्ठिर ने कौरवों के पुरोहित सुधर्मा और अपने पुरोहित धौम्य को तथा संजय, विदुर, युयुत्यु आदि लोगों को युद्ध में मारे गए सभी योद्धाओं का शास्त्रोत अंतिम संस्कार करने की आज्ञा दी। इसके बाद सभी गंगा तट पर पहुंचे और मृतकों को जलांजलि दी।

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