आसमान में सुंदर घटना के घटित होने के बारे में आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे का कहना है कि, आसमान में जल्ती उल्काओं की बारिश होने वाली है जिसे हम सब 3 दिन तक दे पाएंगे. यह खगोलीय घटना बहुत ही सुंदर होगी जिसे लोग खुली आंखों से देख सकेंगे. माना जा रहा है कि, यह घटना 1 घंटे तक होगी जिसमें 50 तक उल्का वृष्टि देखे जा सकते हैं. इस घटना को क्षितिज से 40 डिग्री के बीच देखा जा सकेगा.
इस समय देखा जाएगा
खूबसूरत नजारे का क्षेत्र मंगल ग्रह के ऊपर की तरफ होगा और इसे रात 2 बजे से सूर्योदय होने से पहले आसानी से देखा जा सकेगा. बताया गया कि, आसमान में यह आतिशबाजी का सिलसिला 19 अप्रैल से शुरू हुआ था मगर अब यह 28 मई तक इसी तरह जारी रहेगा. इस दौरान आसमान बहुत ही सुंदर नजर आएगा. ऐसा लगेगा मानो आसमान से तारे टूट रहे हों और धरती पर प्रकाश छोड़ रहे हों.
कैसी होती है उल्का वृष्टि
बता दें कि, उल्का वृष्टि तब होती है जब पुच्छल तारों द्वारा पृथ्वी की राह में मलवा छोड़ा जाता है. आसान शब्दों में समझाएं तो, जब कोई धूमकेतु या पुच्छल तारा सूर्य का चक्कर लगाता है और धरती के पास से होकर गुजरता है तो वह अपने पीछे-पीछे छोटे-छोटे कंकड़ छोड़ जाता है.और जब पृथ्वी इन मलवे के बीच से होकर गुजरती है तो आसमान में आतिशबाजी जैसा नजारा नजर आता है. इस घटना को सामान्य खगोलीय माना जाता है. एक तरह से देखा जाए तो इस दौरान धरती पर करोड़ों पत्थर गिरते हैं. जो नजर नहीं आते.
धरती के रक्षक हैं उल्काएं
जब उल्काएं जलती हुई आसमान में नजर आती हैं तो अक्सर कुछ लोगों के मन में ख्याल आता है कि, अगर यह जलने के बजाय सीधा धरती पर गिरती तो क्या होता? यह सवाल लाजमी भी है पर हम आपको बता दें कि, उल्काएं एक तरह से धरती के रक्षक हैं और इसे धरती के वातावरण का वरदान माना जाता है. अगर उल्काएं बिना जले ही धरती पर गिरते तो पृथ्वी पर रहना असंभव हो जाता. क्योंकि, आसमानी पिंडों से धरती पर जगह-जगह गड्ढे बन जाते. तो आप भी तैयार हो जाइए इस सुंदर खगोलीय घटना का दीदार करने के लिए.