जो पूरी तरह से कॉरपोरेट में बताया जा रहा है। इसके तहत 75 प्रतिशत कर्मचारियों से नए नियमों के अंतर्गत कानूनी संरक्षण लेकर उन्हें श्रम कानून के दायरे से बाहर कर दिया गया है। इस नए श्रम कानून के तहत किसी को भी संरक्षण नहीं प्राप्त होगा। भारत को आत्मनिर्भर बनने के चक्कर में केंद्र सरकार निजीकरण के एजेंडे पर काम कर रहे है। आत्मनिर्भर भारत के नाम पर पर ही अर्थव्यवस्था के मुख्य बड़े क्षेत्रों में बड़े स्तर पर निजीकरण सरकार कर रही है। इसमें अब बैंक भी शामिल है। AIBEA इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को छोड़कर अधिकांश बैंकों का नुमाइंदगी करता है।
इस हड़ताल में महाराष्ट्र में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में निजी, विदेशी बैंकों के लगभग तीन हज़ार कर्मचारी शामिल होंगे। देशभर में काम कर रहे करोड़ों कर्मचारियों और श्रमिकों प्रतिनिधित्व करने वाले श्रम संघों ने मौजूदा केंद्र सरकार की कथित राष्ट्र विरोधी, जन विरोधी और किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ हड़ताल में बैंक कर्मचारी भी शमिल होंगे। देश के सभी राज्यों में एक या फिर से अधिक ग्रामीण बैंक, जिसकी संख्या 43 है। इन बैंकों को करीब 21 हज़ार ब्रांचों में एक लाख अधिकारी और कर्मचारी काम कर रहे हैं।