हिन्दू धर्म में उन स्त्रियों का भी उचित वर्णन है जिनके व्यवहार और आचरण से परिवार और समाज को नुकसान हो सकता है. कहते हैं एक अच्छी स्त्री जीवन को स्वर्ग बना देती है, वही यदि कोई गलत आचरण की स्त्री आपको मिल जाये तो जीवन नर्क से भी बुरा हो सकता है . तो आइये आज हम आपको अच्छी और आदर्श स्त्रियों की पहचान करने के कुछ तरीके बताते हैं.
धर्म का पालन करने वाली स्त्री
धर्म को मानना अर्थात धर्म के अनुसार व्यवहार करना. ऐसी स्त्रियाँ ईश्वर परभरोसा करती हैं और हर तरह की परिस्थिति में परिवार और पति का साथ देती हैं. धर्म परायण स्त्री हो तो पुरुष की परिवार के प्रति जिम्मेदारियां समझ भी लेती है और घर के बडो-बच्चो को सही तरह से मेनेज कर के बैलेंस भी बनाये रखती हैं.
सीमित इच्छाओं वाली स्त्री
इच्छाओ को ही दुःख की वजह कहा जाता है. जिस स्त्री की इच्छाए कम होती है, वो ज्यादा की उम्मीद में पति और परिवार में न तो क्लेश करती है और न ही माहौल खराब करती है. ऐसी स्त्रियाँ अभाव के हालात में भी परिवार पर किसी तरह की आंच नही आने देती और कम में भी खुश रहना जानती हैं
धैर्य रखने वाली स्त्री
जिस स्त्री ने धैर्य सिख लिया, उस से बेहतर साथी आपको कोई नही मिल सकता. अमूमन हम किसी विषय पर तपाक से प्रतिक्रिया दे देते हैं जिसकी वजह से ज्यादातर सम्बन्धो में दूरियाँ आ जाती हैं. धैर्यवान स्त्री प्रतिक्रिया देने से पहले सोचती है और सम्बन्धो को बनाये रखने में मजबूत कड़ी साबित होती है
क्रोध न करने वाली स्त्री
ज्यादातर महिलाये क्रोध अत्यधिक करती हैं और भावावेश में आकर ऐसा फैसला कर लेती हैं कि परिवार और पुरुष दोनों को झेलना पड़ता है. क्रोध न करने वाली स्त्रिया घर के बडो का अनादर नही करती और न ही आवेश में आकर घर के खिलाफ कोई गलत फैसला लेती हैं