बांगर के अमरूद की धीरे-धीरे पूरे देश में डिमांड बढ़ रही है। अमरूद भी ऐसा की एक बार उसे देख लिया तो जिंदगी भर शायद ही उसे भूले। क्योंकि ये कोई आम अमरूद नहीं है। थाई किस्म के इस अमरूद का वजन औसतन एक किलो के आसपास रहता है। एक अमरूद ही पेट भर सकता है। ऐसे अमरूद जींद जिले के संगतपुरा गांव के साफ्टवेयर इंजीनियर नीरज ढांडा के बाग में इन दिनों खूब लग रहे हैं। वे उसकी बिक्री किसी सब्जी मंडी या दुकान में नहीं करते।
सिर्फ ऑनलाइन ही उन्हें देश भर में बेच रहे हैं। इससे उन्हें भाव भी अच्छा खासा मिल रहा है। जहां से भी आर्डर मिलता है तुंरत उसकी सप्लाई कर देते हैं। इस सीजन में दिल्ली, चडीगढ़, पंचकूला, नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद समेत कई शहरों में लोगों के ऑर्डर पर इसे ऑनलाइन बेचा गया।
संगतपुरा निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर नीरज ढांडा बताते हैं कि तीन साल पहले वे रायपुर गए हुए थे। इस दौरान उन्होंने एक फार्म में अमरूद की इस किस्म को देखा था। इसके बाद उनके मन में भी विचार आया कि क्यों खेती से अच्छी आय लेने के लिए कुछ किया जाए। इस पर वे वहां से अमरूद की थाई किस्म के पौधों को खरीद कर लाए थे। हालांकि यह काफी खर्चीला था, लेकिन उन्होंने मन बना लिया था कि वे इनका बाग जरूर लगाएंगे। इसके बाद उन्होंने अपनी पैतृक जमीन पर सात एकड़ में अमरूद का बाग लगाया जिसमें 1800 पौथे थाई किस्म के और बाकी सफेदा किस्म के थे। अभी पौधे मुश्किल से 6 से 7 फीट तक के हुए हैं कि उन्होंने फल देना शुरू कर दिया है।