घटना के बारे में मिली जानकरी के मुताबिक शाहजहांपुर के कहमारा गांव में दुर्गेश और सर्वेश का परिवार रहता था। यह परिवार दीवाली के बाद अचानक से चर्चा में आ गया। इस घर में रहने वाला दुर्गेश बात-बात पर यह दावा करने लगा कि वह बहुत जल्द एक बड़ा तांत्रिक बनने वाला है। उसके ऊपर किसी जिन्न का साया है। उसका कहना था कि अब वह किसी कि कोई भी समस्या हल कर सकता है।बड़ी से बड़ी बीमारी ठीक कर सकता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से उसके घर से किसी महिला के चीखने की आवाज भी आया करती थी लेकिन इस घर के लोगों का व्यवहार देख कर लोग इनसे ज्यादा मतलब नहीं रखते थे। कहा जाता है कि दुर्गेश के परिवार की कुछ महिलाओं को मानसिक समस्या थी लेकिन कोई भी उनका इलाज नहीं करा रहा था। इसी बीच दुर्गेश का संपर्क सीतापुर के पिसांवा के सजकलां के एक कथित तांत्रिक से हुआ। इसके बाद से दुर्गेश अक्सर उस कथित तांत्रिक से मिलने सीतापुर जाने लगा।
गर्म चिमटे से दागा
इस बीच दुर्गेश ने अपने भाई सर्वेश की शादी के 13 साल बाद भी बच्चा न होने की बात कही, जिस पर कथित तांत्रिक देवधर ने कहा कि चुड़ैल के साये के कारण सर्वेश और शारदा के संतान नहीं हो रही है। देवधर ने सर्वेश को सलाह दी कि वह भाई दुर्गेश में साथ मिलकर भाभी शारदा को गर्म चिमटे से दागे जिस पर शारदा को दागा और मारापीटा गया। दुर्वेश कहता था कि जलने से शारदा को कोई कष्ट नहीं होगा और पिटाई से चोट भी चुड़ैल को ही लगेगी। गर्म चिमटों से शरीर के तमाम अंगों पर दागे जाने से शारदा देवी ने 27 फरवरी की रात दम तोड़ दिया।