हाईकोर्ट ने 26 फरवरी को इसका आदेश जारी कर दिया था। जिस पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद प्रताप सिंह बघेल ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन फर्जी डिग्री के साथ प्राथमिक विद्यालयों में नौकरी कर रहे 812 शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाए। और इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा अगर ये अध्यापक दूसरे जिलों में ट्रांसफर हो गया हो तो संबंधित बीएसए को इस बात की सूचना दी जाए। इन शिक्षकों पर किसी प्रकार की रिकवरी कार्रवाई नहीं की जाएगी। जिन अभ्यार्थियों की मार्कसीट टेम्पर्ड हैं उनके संबंध में हाईकोर्ट ने आगरा विश्वविद्यालय को चार महीने में निर्णय लेने का समय दिया है। पूर्व में बेसिक शिक्षा विभाग 201 शिक्षकों की सेवा समाप्त और 199 के खिलाफ एफआईआर की जा चुकी है। इसके साथ ही 13 अभ्यर्थियों के खिलाफ रिकवरी की भी कार्रवाई की गई है।
हाईकोर्ट ने दिया चार माह का समय
फर्जी डिग्री के साथ शिक्षक बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं बल्कि देश के उज्जवल भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इससे हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में वैसे भी पीछे है और पीछे हो जाएगा। सरकार को इस बात को काफी गंभीर लेना चाहिए।
फर्जी डिग्री को लेकर सचिव ने आदेश दिया कि यदि विश्वविद्यालय किसी अभ्यर्थी के मार्कसीट को टेम्पर्ड घोषित करता है तो उसकी सेवा उसी दिन से खत्म कर दी जाएगी। दिए गए आदेश के अनुसार जिस दिन से शिक्षकों को चार महीने का समय दिया गया उसमें जब तक विश्वविद्यालय का निर्णय नहीं आ जाता तब तक
संबंधित शिक्षक की सेवा जारी रहेगी। एसआईटी जांच में 1356 फर्जी/कूटरचित डिग्री वाले अभ्यर्थियों का चयन हुआ था। इनमें से 1140 शिक्षकों के वेतन को विभाग ने पहले से ही रोक रखा है।