देश में लगातार कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों देख यही लग रहा है कि, दोबारा भारत एक बड़े खतरे की तरफ बढ़ रहा है। देश में पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 17,407 मामले सामने आए हैं। एक माह बाद देश में इतनी बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले आए हैं। मार्च 2020 में ही जब संक्रमण ने देश में अपने पांव पसारने शुरू किए ही थे कि देश में लॉकडाउन लगाना पड़ गया था। जो 30 जून तक लगा था। एक वर्ष बाद मार्च 2021 में संक्रमण की तेजी से बढ़ती हुई रफ्तार दोबारा डरा रही है। हालात ठीक पहले जैसे ही बन रहे हैं। अमेरिका, इटली, फ्रांस और ब्रिटेन में जहां कोरोना ने सर्दियों में रफ्तार पकड़ी थी।
वहीं भारत में संक्रमण बढ़ते तापमान के साथ और ज्यादा तेजी से बढ़ रहा है। वर्ष 2020 में संक्रमण की रफ्तार सितंबर माह में अपने पीक पर थी। इस दौरान 99 हजार मरीज रोजाना सामने आने लगे थे। वहीं रोजाना 1000 से ज्यादा मरीजों की रोजाना संक्रमण की वजह से जान भी जा रही थी। सितंबर माह में कोरोना का कहर पूरे देश में देखने को मिल रहा था।
पिछले पांच में जहां संक्रमण की रफ्तार कम रही, वो रफ्तार बाद देश में दोबारा तेजी से बढ़ने लगी है। देश के 8 राज्यों में कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए विशेषज्ञों ने संक्रमण को लेकर अध्ययन शुरू किया है। इसकी रिपोर्ट अगले 21 दिनों में आएगी, जिससे सामने आ जाएगा की भारत में बदलते मौसम के साथ कोरोना संक्रमण कैसे मजबूत हो रहा है।
संक्रमण को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानस प्रतिम रॉय ने काफी अध्ययन किया है। उनका कहना है कि, मौसम का कोरोना संक्रमण पर काफी असर पड़ता है। भोपाल, बंगलूरू और कोलकाता के मौसम और उसके तापमान में होते उतार चढ़ाव का प्रभाव कोरोना वायरस के मामलों में भी देखने को मिला है।
कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर विशेषज्ञों का ये भी मानना है कि, संक्रमण के घटते मामलों को देखते देश के कई राज्यों में लोगों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिला है। लोग अब संक्रमण को लेकर बेहद लापरवाह हो चुके हैं। जबकि अभी ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है।