रक्षा मामलों से जुड़े जानकारों का कहना है कि, 20 भारतीय जवानों के गलवान घाटी में वीरगति को प्राप्त होने के बाद सीमा पर इस वक़्त स्थिति काफी ज्यादा तनावपूर्ण है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि, किसी भी वक़्त दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ सकती है। अगर इस वक़्त बातचीत के माध्यम से विवाद को नहीं सुलझाया गया तो युद्ध तक हो सकता है। चीन बातचीत के लिए तैयार है लेकिन भारत चीन के दोहरे चरित्र और धोखेबाज़ी को ध्यान में रखते हुए कोई भी कमी को अब छोड़ना नहीं चाहता है यही वजह है कि, सेना अब किसी भी हालात से निपटने के लिए सीमा पर तैयार खड़ी है।
बता दें कि चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच, तीनों रक्षा बलों को महत्वपूर्ण गोलाबारूद और हथियारों के अधिग्रहण के लिए प्रति परियोजना 500 करोड़ रुपये तक की खरीद करने की वित्तीय शक्तियां दी गई हैं. इन हथियारों और गोला-बारूद की आवश्यकता पूरी तरह से या सीमित संघर्ष छिड़ने की स्थिति में होगी.
Army changes rules of engagement on LAC with China, empowers field commanders to allow use of firearms under ‘extraordinary’ circumstances
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— ANI Digital (@ani_digital) June 21, 2020
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ANI को बताया, “तीनों सेवाओं के उप प्रमुखों को जिन भी हथियारों की कमी या जरूरत महसूस होती है, उनकी आवश्यकताओं को तेजी से पूरा करने के लिए हर शस्त्र प्रणाली हासिल करने के हिसाब से 500 करोड़ रुपये तक की वित्तीय शक्तियां सेना को दी गई हैं.” बता दें कि सरकार की ओर से इन शक्तियों को देने के पीछे मुख्य मकसद किसी भी गंभीर स्थिति के लिए शॉर्ट नोटिस पर सेनाओं को तैयार रखना है.
वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस दौरे से पहले सेना के साथ हुई बैठक में आधुनिक हथियारों को साथ ले जाने की मंजूरी दे दी है. जिससे चीन पर कंट्रोल किया जाना है.