कहानी संघर्ष की! मां ने सिलाई कर भरी बेटों की फीस, दोनों ने IIT के बाद हासिल किया IAS अधिकारी का पद

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यह पूरा मामला राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले सुभाष कुमावत के परिवार का है। सुभाष कुमावत पेशे से एक दर्जी है और एक छोटी सी दुकान पर बैठकर लोगों के कपड़े सिलते हैं। इसी से उनके परिवार का घर चलता है। उनकी पत्नी भी सिलाई का काम करती है। सुभाष टेलर है तो उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी कपड़ों की तुरपाई करने का काम करती है।

उनके दोनों बेटे पंकज और अमित शुरुआत से ही पढ़ाई में तेज थे और दोनों का सपना जिंदगी में कुछ कर दिखाने का था। ऐसे में पंकज और अमित दोनों ने पहले आईआईटी दिल्ली में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। पंकज की नोएडा स्थित एक कंपनी में नौकरी लगी। इसके बाद दोनों भाइयों ने एक साथ सिविल सेवा का सपना देखा और अपने सपने को पूरा करने के लिए जुट गए। ऐसे में परिवार के पास भी इस दौरान आर्थिक मंदी की चुनौती थी, लेकिन इसके बावजूद भी उनकी मां ने रात भर तुरपाई और सिलाई का काम किया।

अपने कड़ी मेहनत के पैसों से दोनों बेटों की फीस भरी। दोनों भाइयों के लिए पढ़ाई का सफर बिल्कुल आसान नहीं था, लेकिन उनके माता-पिता ने उनके इस सफर में पूरी मेहनत करके उनका साथ दिया। सिविल सेवा का सपना असल मायने में उनके माता-पिता का था। पंकज और अमित का कहना है कि सही मायने में सिविल सर्विसेज एग्जाम को पास करते हुए हमें हमारे माता-पिता देखना चाहते थे। हमने हमारा नहीं बल्कि हमारे माता पिता का सपना पूरा किया है।

पकंज और अमित का कहना है कि हमारे माता-पिता ने हमें पढ़ाने के लिए कई मुश्किलों का सामना किया है। वह हमारी किताब फीस और दूसरी चीजों का इंतजाम करने के लिए रात दिन जाग कर कड़ी मेहनत करते थे। पिता अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए ओवरटाइम किया करते थे।

बता दे पंकज और अमित ने साल 2018 में एक साथ यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। 5 अप्रैल को दोनों का रिजल्ट आया तो परिवार की आंखों में आंसू आ गए। यूपीएससी सिविल सेवा में दोनों बेटों का नाम एक साथ आया। परीक्षा में पंकज ने जहां 483 रैंक हासिल की थी, तो वही अमित ने 600 की रैंक हासिल की थी।

दोनों भाइयों ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया और कहा कि परिवार की आर्थिक मंदी के बावजूद अगर हम हमारे सपनों की सीढ़ी चढ़ पाए तो इसका पूरा श्रेय हमारे माता-पिता को जाता है। उन्होंने हमें कठिन परिश्रम करना सिखाया, जिससे हम इन सपनों को साकार कर पाए।

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